साइबर क्राइम पुलिस थाना चंडीगढ़ ने दो ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में शामिल तीन शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। ये अपराधी कोलकाता और चंडीगढ़ से संचालित होने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का हिस्सा हैं। इन दोनों ही मामलों में ठगों ने पीड़ितों से अलग अलग हथकंडे अपनाकर 37 लाख रुपए की ठगी कर ली थी।
सेक्टर 39-बी, चंडीगढ़ निवासी शुक्ला महाजन ने 28 फरवरी को उनके इंडसइंड बैंक खाते से पैसे कटने के कई एसएमएस मिले थे । जिसके बाद उन्होंने साइबर क्राइम थाना पर अनधिकृत तरीके से पैसे कटने के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि पीड़ित के खाते से कोलकाता के अलीपुर में रहने वाले 29 वर्षीय वारिस अली के नाम पर पंजीकृत आईसीआईसीआई बैंक के अकाउंट में ₹2 लाख ट्रांसफर किए गए थे।
कमीशन देकर किराए पर लेते थे बैंक खाते
कॉल डिटेल और केवाईसी रिकॉर्ड की टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर, पुलिस की एक टीम ने बीते 10 जुलाई को कोलकाता में दबिश की और वारिस अली को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान उसने बताया कि किसी के कहने पर उसने अपना आईसीआईसीआई बैंक में अपना खाता खोला था। उस खाते में रुपयों के लेनदेन करने के लिए उसे ₹20,000 का कमीशन भी मिलता था। पैसे के लालच में अपने बैंक संबंधी कागज भी उस व्यक्ति को सौंप दिये थे।
इसी प्रकार एक अन्य मामला डॉ. चितरंजन सिंह बराड़ निवासी सेक्टर 39-बी चंडीगढ़ ने साइबर थाना में दर्ज कराया था। दर्ज शिकायत के अनुसार साइबर ठगों ने पीड़ित को नकली आरबीआई अधिकारी बनकर संपर्क किया और उनसे उनकी बीमा पॉलिसियों की समय से पहले मेच्योरिटी और 20% अधिक बोनस का देने का वादा कर उनसे रुपए ठग लिए।
पहले मामले की तरह अपराधियों ने उन्हें भी भरोसे में लेकर उनके खाते से विभिन्न बैंक खातों में ₹34.20 लाख ट्रांसफर करा लिए। जांच में पुलिस को चंडीगढ़ के मनीमाजरा निवासी 31 वर्षीय अफजल हुसैन की संलिप्तता का पता चला। जिसे पुलिस अपने साथ अन्य अपराधियों की तलाश और सुबूत जुटाने के लिए ओडिशा और झारखंड राज्य भी ले गई। पुलिस ने आरोपियों के पास से कई मोबाइल फोन, फर्जी कागजात, सिम कार्ड और बैंक पासबुक जब्त की हैं। जांच अधिकारी यह भी देख रहे हैं कि इस गिरोह का किसी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय फ्रॉड नेटवर्क से कोई नाता तो नहीं है।
सोनू नाम के व्यक्ति ने उपलब्ध कराई थी तकनीकी मदद
अफजल ने पूछताछ में बताया कि उसको धोखाधड़ी में इस्तेमाल करने के लिए सिम कार्ड, बैंक खाते और तकनीकी मदद पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना निवासी 37 वर्षीय सोनू ने उपलब्ध कराई थी। सोनू को भी पुलिस ने 8 जुलाई को बंगाल से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को जांच में सोनू के खिलाफ ठगो को सिम कार्ड, बैंक खाते और तकनीकी मदद पहुंचाने के सुबूत मिले हैं। चंडीगढ़ पुलिस के अधिकारियों ने मीडिया को जानकारी देते हुये बताया कि पकड़े गए सभी आरोपी एक बड़े साइबर अपराध नेटवर्क का हिस्सा थे जो बड़े पैमाने पर लोगो को ठगने का काम करता था।
पकड़े गए वारिस अली ने अपने बैंक खाते को गलत तरीके से रुपए मँगवाने के लिये कमीशन पर साइबर अपराधियों को दिया था। फजल हुसैन ने अपनी पहचान छुपाकर खुद को आरबीआई अधिकारी बताते हुये घोटाले को अंजाम देने के लिए पीड़ित से संपर्क किया। जबकि सोनू ने तकनीकी मदद करते हुये नकली सिम कार्ड, केवाईसी पहचान और धोखाधड़ी वाले बैंक खातों की सुविधा उपलब्ध कराई। यह एक संगठित अपराध नेटवर्क की तरह काम करने का इशारा करता है। पुलिस मामला दर्ज कर आगे की कार्यवाही कर रही है ।