चंडीगढ़: सेक्टर 35-ए की रहने वाली एक 76 वर्षीय बुजुर्ग महिला साइबर ठगी का शिकार हो गईं। एक फोन कॉल से शुरू हुई बातचीत में साइबर अपराधियों ने उनको ड्रग्स केस में फंसाने की धमकी देकर उनके बैंक खाते से ₹11.06 लाख रुपए ट्रान्सफर करा लिए।
ठगों ने ड्रग्स केस में फंसाने की धमकी दी
पीड़िता द्वारा दी गयी शिकायत के अनुसार उसे बीते साल 3 दिसंबर को “अविक शर्मा” नाम के शख्स ने फोन किया । जिसने खुद को एक कोरियर कंपनी का कर्मचारी बताया। बातचीत में उसने बताया कि आपके आधार कार्ड का इस्तेमाल बैंकॉक (थाईलैंड) में चोयो सानन नाम के व्यक्ति को कोरियर द्वारा पार्सल भेजने में किया गया है। इस पार्सल की जांच में पाँच पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड, 4.2 किलो कपड़ा, एक लैपटॉप और 140 ग्राम MDMA (एक प्रतिबंधित नशीला पदार्थ) मिले है।
कथित कोरियर कर्मचारी ने इसके बाद बताया कि इस पार्सल का भुगतान आईसीआईसीआई बैंक के क्रेडिट कार्ड से हुआ है और इसकी जांच अब दिल्ली साइबर क्राइम यूनिट द्वारा की जा रही है। इसके बाद महिला के पास एक और कॉल आई। इस बार कालर ने खुद को एक पुलिस अधिकारी बताते हुये कहा कि वह आईपीएस वरुण यादव बोल रहा है और कहा पूरे मामले की जांच मैं कर रहा हूँ। कथित पुलिस अधिकारी ने महिला को भी चेतावनी दी कि यह एक गंभीर मामला है और वह किसी को भी इस जांच के बारे में न बताए। ठगों ने महिला को ड्रग्स केस में फंसाने की धमकी दी।
एफ़डी तुड़वाकर पैसे निकलाने की फिराक में थे ठग
जालसाजों ने महिला को डराने और भरोसे में लेने के लिए एक जाली सरकारी पत्र भेजा, जिसमें वित्त विभाग भारत सरकार के नाम से एक निर्देश दिया गया था कि वह अपनी सभी एफ़डी राशि को निकालकर एक ही बैंक खाते में जमा करें। पीड़िता ने झांसे मे आकर निर्देश मानते हुए बंधन बैंक, पार्क स्ट्रीट शाखा (कोलकाता) स्थित रामा एंटरप्राइजेज नाम के बैंक खाते में RTGS के माध्यम से ₹11.06 लाख ट्रांसफर कर दिए।
पीड़िता इसके बाद फिर से अपने एक अन्य बैंक से पैसे निकालकर भेजने की तैयारी में थीं, लेकिन तभी सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक के अधिकारियों ने महिला से एफ़डी तोड़ने का कारण जाना तो उन्हें को शक हुआ। जिसके बाद उन्होंने तुरंत महिला को सतर्क किया कि उनके साथ साइबर फ्रॉड हो सकता है।
धोखाधड़ी और आईटी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज
मामले में सेक्टर-17 साइबर अपराध थाना पुलिस ने बीएनएस की धारा 318(4), 319(2), 336(3), 338, 340(2), 61(2) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। ये धाराएँ धोखाधडी और कूटरचित दस्तावेज़ बनाने से संबन्धित हैं।