कानपुर पुलिस ने 50 करोड़ रुपये की साइबर ठगी करने वाले बड़े गैंग का पर्दाफाश किया है। मास्टर माइंड पुलकित द्विवेदी ने ई-कॉमर्स बिजनेस का झांसा देकर देश-विदेश की कई कंपनियों को ठग लिया। पुलिस ने छापेमारी में कई बैंक खातों में करोड़ों रुपये फ्रीज करते हुये 78 कंप्यूटर, 57 मोबाइल और 11 लैपटॉप बरामद किए। इस खेल में उसकी पत्नी और बिज़नेस पार्टनर भी शामिल थे।
कैसे रचाया गया ठगी का जाल
पुलिस उपायुक्त (अपराध) सैयद कासिम आबिदी ने जानकारी देते हुये बताया कि आरोपी कंपनियों से संपर्क कर उन्हें भरोसा दिलाते थे कि उनके प्रोडक्ट विदेश में बेचे जाएंगे। कंपनियों से रजिस्ट्रेशन के एवज में 50 हजार रुपये वसूले जाते।
इसके बाद विदेशी कंपनियों से संपर्क कराने के बहाने ट्रेड लेटर की मांग की जाती। जिनके पास सर्टिफिकेट नहीं होता, उनसे इसे बनवाने के नाम पर 2–3 लाख रुपये तक अलग से वसूल किया जाता। पैसा मिलते ही ठग फोन नंबर बंद कर देते थे।
पुलिस की बड़ी कार्रवाई
जांच में पता चला कि कानपुर के केडीए सिग्नेचर ग्रीन्स नवाबगंज निवासी पुलकित द्विवेदी नाम का एक व्यक्ति सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में वेबिक्सी टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड और ग्लोबल ट्रेड प्लाजा नाम से एक कॉल सेंटर चलाकर लोगों के साथ ठगी कर रहा था। कंपनी के पूर्व कर्मचारी जितेंद्र कुमार के जरिये पुलिस को इसकी जानकारी मिली। इसके बाद साइबर क्राइम टीम ने छापा मारकर पुलकित को दबोच लिया।
आरोपी ने पुलिस को जानकारी देते हुये बताया कि वह पहले दिल्ली में रहकर प्राइवेट नौकरी करता था। वर्ष 2020 में उसने सत्यकाम साहू के साथ मिलकर वेबिक्सी टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरुआत की। पुलकित द्विवेदी ने एमबीए की डिग्री भी ले रखी है।
कौन-कौन था शामिल
गिरोह में पुलकित की पत्नी और एचआर हेड वर्तिका कटियार, पार्टनर सत्यकाम साहू और अन्य कर्मचारी शामिल थे। पुलिस ने छह बैंक खातों में रखे करीब साढ़े चार करोड़ रुपये सीज कर दिए हैं। सत्यकाम साहू और पुलकित मिलकर आउट सोर्स साइटों से लोगों का डाटा निकालकर लोगों के साथ ठगी को अंजाम देते थे।
कितने लोग हुए शिकार
आरोपियों ने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि नाइजीरिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया समेत कई देशों के उद्योगपतियों को अपना निशाना बनाया। फिलहाल पुलिस बाकी पीड़ितों की पहचान कर रही है और पूरे नेटवर्क की जाँच जारी है।