साइबर अपराधी देश भर में बड़े पैमाने पर सिम स्वैपिंग (Sim Swapping) कर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों समेत कई राज्यों से इस तरह के हजारों मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें साइबर अपराधियों ने लोगों का सिम कार्ड स्वैप करके उनके बैंक खातों से लाखों रुपये पार कर दिये। इस तरह के मामलों में बचाव के क्या रास्ते हो सकते हैं? आइए समझते हैं…
क्या है सिम स्वैपिंग?
सिम स्वैपिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें साइबर अपराधी मोबाइल कंपनियों को भ्रमित कर आपके मोबाइल नंबर से एक नया सिम कार्ड जारी करा लेता है। जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होती है, आपका पुराना सिम बंद हो जाता है और मोबाइल से नेटवर्क गायब हो जाता है। जिसके बाद साइबर ठग आपके नंबर पर आने वाले OTP और बैंकिंग अलर्ट अपने फोन पर हासिल कर लेते हैं और आसानी से आपका बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं।
कैसे होती है सिम स्वैपिंग की शुरुआत
सिम स्वैपिंग की शुरुआत आमतौर पर ठगों द्वारा की गयी एक फ़ोन कॉल से होती है, जिसमें वे खुद को आपकी टेलिकॉम कंपनी का कर्मचारी बताते हुये कहते हैं कि वे आपके फोन की इंटरनेट स्पीड बढ़ा देंगे या कॉल ड्रॉप की समस्या ठीक कर देंगे।
बातचीत के दौरान वे आपसे सिम के पीछे लिखा हुआ 20 अंकों का सिम नंबर मांग लेते हैं और फिर निर्देश देकर आपके की पैड पर कोई बटन दबाने को कहते हैं। जैसे ही आप वह बटन दबाते हैं, ठग के पास मौजूद नया सिम सक्रिय हो जाता है और आपके फोन का नेटवर्क अचानक गायब हो जाता है। सिम स्वैपिंग करके वे ये OTP अपने फोन पर हासिल कर लेते हैं और फिर आपके खाते से पैसे उड़ा लेते हैं।
अगर आप शिकार हो जाएं तो क्या करें
अगर पर्याप्त सावधानी बरतने के बावजूद आप सिम स्वैप का शिकार हो जाए तो तुरंत ये कदम उठाएं-
- सबसे पहले अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड ब्लॉक कराएं।
- बैंक को तुरंत सूचित करें।
- गृह मंत्रालय के साइबर अपराध पोर्टल cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
- अपने टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर को तुरंत जानकारी दें।
बचाव के तरीके
- कभी भी फोन पर अपना सिम नंबर, OTP या बैंकिंग डिटेल्स साझा न करें।
- अपने मोबाइल और बैंक अकाउंट से जुड़े सभी पासवर्ड मजबूत और अलग रखें।
- जैसे ही आपके फोन से नेटवर्क गायब हो, तुरंत सतर्क हो जाएं और मोबाइल कंपनी से संपर्क करें।
पुलिस के अनुसार, बढ़ती संख्या में लोगों के मोबाइल फ़ोन नंबरों को हाईजैक करने के लिए सोशल मीडिया पर साझा की गई व्यक्तिगत जानकारी साइबर अपराधियों के लिए ठगी की नींव डालने का एक सुगम तरीका है।