बिहार में साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। शिकायत दर्ज कराने के लिए प्रतिदिन औसतन 15,000 लोग टोल फ्री नंबर 1930 पर मदद के लिए फोन कर रहे हैं। इसी वजह से देश में साइबर अपराध के मामले में बिहार लिस्ट में चौथे स्थान पर पहुँच गया है।
साइबर क्राइम को कम करने का प्रयास
अभी हाल ही में बिहार सरकार ने साइबर अपराध पर लगाम कसने के लिए पटना में करीब 15 करोड़ रुपये की लागत से सिक्योरिटी ऑपरेशन सेंटर (SOC) बनाने का फैसला लिए है। यह कदम बिहार में साइबर क्राइम को कम कर अपराधियों पर निगरानी रखने में अहम भूमिका निभाएगा। वहीं बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOU) को साइबर और आर्थिक नुकसान से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए नोडल संस्था बनाया गया है।
पुलिस को उच्चस्तरीय प्रशिक्षण
बीते 5 महीनों में बिहार पुलिस के करीब 800 से ज्यादा पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों को साइबर क्राइम पर लगाम कसने के लिए ट्रेनिंग दी जा चुकी है। इसके अलावा जांच को अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से 61 पुलिस अधिकारियों को 9-10 सितंबर 2025 के बीच सी-डैक द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग टूल्स पर विशेष ट्रेनिंग दी गई है।
पुलिस की बड़ी कार्यवाही
प्रदेश में साइबर अपराधों पर लगाम कसने के लिए जनवरी माह से जुलाई 2025 तक साइबर ठगों के 4,788 मोबाइल और अगस्त में 749 मोबाइल ब्लॉक किए गए। इससे ठगों की आपराधिक गतिविधियों पर सीधा असर पड़ा है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी फर्जी प्रोफाइल और भ्रामक पोस्ट पर भी पुलिस द्वारा कार्यवाही की जा रही है। इस वर्ष जुलाई माह तक कुल 371 फेक सोशल मीडिया प्रोफाइल हटाई जा चुकी हैं।
बिहार पुलिस द्वारा चलाये जा रहे साइबर प्रहार अभियान के तहत जनवरी से जुलाई तक 152 और अगस्त में 12 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। वहीं, ऑनलाइन ठगी के जनवरी से जुलाई तक कुल 46,198 और अगस्त में 7,594 मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में पुलिस ने कार्यवाही करते हुये जनवरी से जुलाई तक 54.95 करोड़ और अगस्त में 10.21 करोड़ रुपये होल्ड कराए गए। पुलिस ने पीड़ितों को जनवरी-जुलाई के बीच 3.89 करोड़ और अगस्त में 72.03 लाख रुपये वापस कराये।
छात्रों और आम जनता में जागरूकता
बिहार पुलिस साइबर अपराध के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए भरपूर प्रयास कर रही है। बीते 8 सितंबर 2025 को पटना में एक कॉलेज में हुये एक कार्यक्रम के दौरान छात्राओं और शिक्षकों को डिजिटल सिक्योरिटी और साइबर क्राइम के तरीके के बारे में जागरूक किया गया।