Cyber Crime: बिहार के वैशाली जिले में साइबर क्राइम पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर पर छापा डालकर पांच साइबर जालसाज़ों को जंदाहा थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। ये शातिर अपराधी वृद्ध अमेरिकी नागरिकों के साथ ऑनलाइन सर्विस उपलब्ध कराने के नाम पर अंतरराष्ट्रीय ठगी रैकेट चलाते थे। इस गिरोह का मुख्य सरगना बिरजू सिंह अभी पुलिस की पकड से दूर है । ये गिरोह वैशाली में पिछले कई महीनों से लोगो के साथ ठगी कर रहा था।
पुलिस कार्यवाही के दौरान बड़ी बरामदगी
एसपी ललित मोहन शर्मा ने जानकारी देते हुये बताया कि साइबर थाना पुलिस ने यह कार्यवाही मुखबिर की सूचना के आधार पर की है। पुलिस ने गिरफ्तार किया गए अपराधियों के पास से पांच लैपटॉप, 10 अदद मोबाइल फोन, 16 अदद डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, राउटर आदि इलेक्ट्रॉनिक सामान बरामद किए है। पकड़े गए आरोपी कोलकाता के रहने वाले हैं।
पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने बताया कि उनको गिरोह का सरगना नौकरी के नाम पर ये सब काम करवाता था। मुख्य आरोपी बिरजू सिंह ही पकड़े गए आरोपियों को खाने और रहने की सुविधा उपलब्ध कराता था। ठगी का काम करने के लिए बिरजू सिंह इन लोगो को मोटी रकम मुहैया कराता था। करीब छह महीनों से यह फर्जी कॉल सेंटर संचालित किया जा रहा था। सभी आरोपियों को जंदाहा थाना अंतर्गत ग्राम लक्ष्मणपुर कद्दु टांड से गिरफ्तार किया गया है।
संयुक्त पुलिस कार्यवाही में पकड़े गए आरोपी
यह संयुक्त कार्यवाही साइबर थाना, थाना प्रभारी हाजीपुर एवं थानाध्यक्ष जंदाहा द्वारा की गयी छापेमारी में पकड़े गए अपराधियों के नाम डानियाल अख्तर, मोहम्मद एहतेशाम, सैयद शादाब अली, शेख अजीम, और नूर आलम हैं ।
प्रकरण के संबंध में साइबर थाना हाजीपुर में मुकदमा संख्या 025/2025 आईटी एक्ट के अंतर्गत दर्ज कर गिरफ्तार सभी आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। गिरोह के सरगना बिरजू सिंह की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार उसकी तलाश कर रही है।
ठगी काम करने का तरीका
साइबर अपराधियों के काम करने का तरीका साइबर अपराध के अन्य तरीकों से अलग है। एसपी वैशाली द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार बिरजू सिंह पुत्र चूल्हाई सिंह गिरोह के अन्य अपराधियों के साथ मिलकर डार्क वेब के जरिये अमेरिकी नागरिकों का डाटा हासिल करता था और फिर उनके लैपटॉप या कम्प्यूटर में ई-मेल के माध्यम से वायरस भेजता था।
अपराधियों द्वारा लैपटॉप में आई समस्या ठीक करने के लिए फर्जी हेल्प लाइन नंबर दिया जाता था। जिस भी व्यक्ति द्वारा सहायता मांगी जाती उसकी स्क्रीन शेयर सॉफ्टवेयर के माध्यम से रिमोट एक्सेस लेकर साइबर ठगों द्वारा बैंक खाते से राशि निकाल कर पैसे उड़ा लिए जाते थे।