---Advertisement---

WhatsApp स्क्रीन मिररिंग फ्रॉड: मिनटों में खाली हो सकता है आपका बैंक खाता

On: Wednesday, August 20, 2025 2:09 PM
WhatsApp स्क्रीन मिररिंग फ्रॉड
---Advertisement---

देश में बढ़ते साइबर अपराध के बीच एक नया सामने आया है, साइबर विशेषज्ञों ने इसे WhatsApp स्क्रीन मिररिंग फ्रॉड का नाम दिया है। हाल ही में वनकार्ड ने इस तरह के फ्रॉड को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है। वन कार्ड के मुताबिक इस ठगी में साइबर अपराधी को उसकी मोबाइल स्क्रीन शेयर करने को कहते हैं। भरोसे में आकर पीड़ित अपनी मोबाइल डिस्प्ले को अपराधी के साथ शेयर कर देता है । जिसके बाद ठग उसके फोन से OTP, पिन और अन्य बैंकिंग डिटेल्स जैसी महत्वपूर्ण और संवेदनशील जानकारी हासिल खाते से पैसे गायब कर देते हैं। इस तरह की ठगी में Identity Theft का खतरा भी बना रहता है।  

कैसे काम करता है WhatsApp स्क्रीन मिररिंग फ्रॉड

WhatsApp स्क्रीन मिररिंग फ्रॉड में साइबर अपराधी खुद को बैंक या किसी वित्तीय संस्थान का अधिकारी या कर्मचारी बताकर पीड़ित को कॉल करते हैं। और बातचीत के दौरान दावा करते हैं कि आपका खाता सही तरह से काम नहीं कर रहा या आपके क्रेडिट कार्ड में कोई गड़बड़ी है। पीड़ित को भरोसे में लेते हुये समस्या को ठीक करने के लिए स्क्रीन शेयर करने के लिए कहते हैं। अगले स्टेप में व्हाट्सएप कॉल या किसी स्क्रीन शेयरिंग एप्लिकेशन के माध्यम से पीड़ित की स्क्रीन तक पहुंच बना ली जाती है।

इस दौरान पीड़ित द्वारा अपने मोबाइल में की जाने वाली गतिविधियों पर स्कैमर अपनी नजर रखता है। जैसे ही यूजर कोई बैंकिंग ऐप खोलकर OTP डालते हैं, सारी गोपनीय जानकारी सीधे ठगों तक पहुंच जाती है। ठगी के कई मामलों में अपराधी आपके फोन में कीलॉगर ऐप भी इंस्टॉल करवा देते हैं, जो आपके कीबोर्ड की सारी टाइपिंग हिस्ट्री रिकॉर्ड कर लेता है।

भरोसा और जल्दबाजी का जाल

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह ठगी लोगों के भरोसे और जल्दबाजी का फायदा उठाती है। अपराधी खुद को बैंक या किसी बड़ी वित्तीय कंपनी का कर्मचारी बताकर कहते हैं कि समस्या को निपटाने के लिए आपको तुरंत कार्रवाई करनी होगी। जिसके बाद लोग घबराकर बिना सोचे समझे अपनी मोबाइल स्क्रीन शेयर कर देते हैं। इसी का फायदा उठाकर ठग आसानी से आपकी निजी और बैंकिंग जानकारी को हासिल कर लेते हैं।

बैंकों की तकनीकी बाध्यताएं

भारत में ज़्यादातर बैंक अपने ऑनलाइन प्लेट्फ़ोर्म्स को बेहतर और सुरक्षित बनाने का प्रयास कर रहे हैं। लगभग सभी बैंकिंग ऐप्स में सुरक्षित स्क्रीन ओवरले, स्क्रीन रिकॉर्डिंग डिसब्लिटी और सेशन टाइम आउट जैसी जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं। इन सब के बावजूद यूजर ठगी के जाल में फंसकर खुद स्क्रीन शेयर कर देता है, तो ये सुरक्षा उपाय भी बेअसर हो जाते हैं। इसके अलावा कुछ थर्ड पार्टी एप्लिकेशन इन सुरक्षा फीचर्स को किनारे कर ठगों को फायदा पहुंचाते हैं।

कैसे बचें इस फ्रॉड से?

अगर आप इस तरह की ठगी से खुद को दूर रखना चाहते हैं तो सबसे जरूरी है कि किसी भी कॉल या मैसेज पर अपनी स्क्रीन शेयर न करें। हमेशा विश्वसनीय ऐप ही डाउनलोड करें। अनजाने एप्लिकेशन का इस्तेमाल न करें। बिना सत्यापन स्क्रीन शेयरिंग न करें और स्क्रीन शेयर करते समय बैंकिंग या UPI ऐप्स का उपयोग न करें। अपने मोबाइल में हमेशा अपडेटेड सुरक्षा सेटिंग्स एनेब्ल रखें और एंटी वायरस का इस्तेमाल करें।

क्या है (Keylogger) कीलॉगर ?

कीलॉगर एक तरह का सॉफ्टवेयर होता है जो आपके वर्चुअल कीबोर्ड पर होने वाली क्रियाओं की निगरानी करता है। साइबर अपराधी अब कीलॉगर का इस्तेमाल पासवर्ड और पिन लेने के लिए करने लगे हैं इसी वजह से कई बैंक अपना खुद का ऑनस्क्रीन कीबोर्ड अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराती हैं। जिसके कारण कीलॉगर टाइप करने वाले शब्दों को मॉनिटर नहीं कर सकता।

कीलॉगर दो तरह के होते हैं। सॉफ्टवेयर कीलॉगर बिना आपकी जानकारी के मोबाइल या कंप्यूटर में इंस्टॉल हो जाता है, जबकि हार्डवेयर कीलॉगर सीधे डिवाइस में लगाया जाता है।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

---Advertisement---

Leave a Comment